मां धरित्री!
पूरी होने पर
हर परिक्रमा
सूरज की
तुम्हारी।
मैं मना लेता
अगला जनम दिन।
अपने अपने जतन
दोनों मगन।
धरे जाने पर
धरा के........
धाव रहा हूं
अनवरत।
गुजरता पड़ावों के
जयंतियों के।
खो देता हूं
हर हिस्से को
जिंदगी की।
दरम्यान
दो सालगिरह के,
बंधते ही अगली गिरह।
कला भी है...….
गजब, गति के विज्ञान की।
छूटती जाती हैं
तेज़ी से पीछे।
निकट की चीजे
गतिमान पिंड के।
पिघल जाते हैं
परवर्ती पूर्ववर्ती बनकर।
किन्तु साथ चलते
बिम्ब दूर के।
पेड़ पौधे,
चांद सितारे......
बादल, सूरज।
कुछ ऐसा ही होता है
पार करने में,
पड़ावों को
जनम दिन के ।
छूट जाते हैं
किरदार
संगी संघाती
नजदीक के।
और साथ चलती हैं
बारात यादों की......
सुदूर के।
सरपट भागती
जिंदगी की नजदीकियां,
और धीरे धीरे बीतती
स्मृतियां दूर अतीत की,
गुजरते लमहे गिन गिन।
भौतिकी के
ऐसे ही
' पैरेलेक्स - एरर '
का अध्यात्म है
जनम दिन।
पूरी होने पर
हर परिक्रमा
सूरज की
तुम्हारी।
मैं मना लेता
अगला जनम दिन।
अपने अपने जतन
दोनों मगन।
धरे जाने पर
धरा के........
धाव रहा हूं
अनवरत।
गुजरता पड़ावों के
जयंतियों के।
खो देता हूं
हर हिस्से को
जिंदगी की।
दरम्यान
दो सालगिरह के,
बंधते ही अगली गिरह।
कला भी है...….
गजब, गति के विज्ञान की।
छूटती जाती हैं
तेज़ी से पीछे।
निकट की चीजे
गतिमान पिंड के।
पिघल जाते हैं
परवर्ती पूर्ववर्ती बनकर।
किन्तु साथ चलते
बिम्ब दूर के।
पेड़ पौधे,
चांद सितारे......
बादल, सूरज।
कुछ ऐसा ही होता है
पार करने में,
पड़ावों को
जनम दिन के ।
छूट जाते हैं
किरदार
संगी संघाती
नजदीक के।
और साथ चलती हैं
बारात यादों की......
सुदूर के।
सरपट भागती
जिंदगी की नजदीकियां,
और धीरे धीरे बीतती
स्मृतियां दूर अतीत की,
गुजरते लमहे गिन गिन।
भौतिकी के
ऐसे ही
' पैरेलेक्स - एरर '
का अध्यात्म है
जनम दिन।
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार आपका!!!!!
DeleteJanam din ki bhautiki samjha di last stanza ne 😀 Still Happy Birthday and Happy New Year from this birthday to next. Sabina
ReplyDeleteजी, हार्दिक आभार🙏🏼
Deleteसूक्ष्म और गूढ़ अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteजन्मदिन की बधाई!💐
जी, हार्दिक आभार🙏🏼
Deleteजी, हार्दिक आभार🙏🏼
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