बिछुड़ गया हूं
खुद से।
तभी से,
जब डाला गया था,
इस झुंड में।
चरने को,
विचरने को,
धंसने को,
फंसने को,
रोने को,
हंसने को।
डाले जाते ही
निकल गई थी,
मेरी मर्मांतक चीख!
छा गई थी,
खुशियां।
झुण्ड में।
और झुंड ने मनाया था
उल्लास,
मेरे आगमन का!
(बिछुड़ने
की तैयारी में!)
मुझसे
अरसो पहले भी
काफी लोग
बिछुड़ चुके है
पूर्वज बनकर।
जा के लटक गए हैं
आसमान में नक्षत्रों संग।
आने को हर साल।
अपने पक्ष का
तर्पण पाने
और पानी पीने!
कुछ तैयारी में है
अग्रज वृंद,
बनने को तारे।
फिर बारी हमारी,
और अनुज गणों की।
मिलेंगे खुद से, बनकर
मातम पुरसी पुरित पुरखे
बिछुड़कर झुंड से।
तब मेरी चीख पर,
उलटा होगा
झुंड के उल्लास का!
अर्थात!
मेरे उल्लास पर
झुण्ड की चीख।
मेरी चीख से झुंड की चीख
के बीच पसरा है
झुण्ड के उल्लास से
मेरे उल्लास के
बीच का भ्रम पाश।
यहीं तो टंगा है आकाश में
बनकर
पुरखों का इतिहास!
खुद से।
तभी से,
जब डाला गया था,
इस झुंड में।
चरने को,
विचरने को,
धंसने को,
फंसने को,
रोने को,
हंसने को।
डाले जाते ही
निकल गई थी,
मेरी मर्मांतक चीख!
छा गई थी,
खुशियां।
झुण्ड में।
और झुंड ने मनाया था
उल्लास,
मेरे आगमन का!
(बिछुड़ने
की तैयारी में!)
मुझसे
अरसो पहले भी
काफी लोग
बिछुड़ चुके है
पूर्वज बनकर।
जा के लटक गए हैं
आसमान में नक्षत्रों संग।
आने को हर साल।
अपने पक्ष का
तर्पण पाने
और पानी पीने!
कुछ तैयारी में है
अग्रज वृंद,
बनने को तारे।
फिर बारी हमारी,
और अनुज गणों की।
मिलेंगे खुद से, बनकर
मातम पुरसी पुरित पुरखे
बिछुड़कर झुंड से।
तब मेरी चीख पर,
उलटा होगा
झुंड के उल्लास का!
अर्थात!
मेरे उल्लास पर
झुण्ड की चीख।
मेरी चीख से झुंड की चीख
के बीच पसरा है
झुण्ड के उल्लास से
मेरे उल्लास के
बीच का भ्रम पाश।
यहीं तो टंगा है आकाश में
बनकर
पुरखों का इतिहास!