दिल भी दिल
भर,
दहक दहक कर
ना बुझता है,
ना बुझता है,
ना जलता
है.
भावों की भीषण ऊष्मा में,
मीता, मत्सर मन गलता है.
फिर न धुक धुक
भावों की भीषण ऊष्मा में,
मीता, मत्सर मन गलता है.
फिर न धुक धुक
हो ये धड़कन
और ना,
और ना,
संकुचन, स्पंदन.
खो जाने दो, इन्हें शून्य में.
हो न हास और कोई क्रंदन.
शून्य शून्य मिल
खो जाने दो, इन्हें शून्य में.
हो न हास और कोई क्रंदन.
शून्य शून्य मिल
महाशून्य
हो
शाश्वत,
शाश्वत,
सन्नाटे का
बंधन!
सब सूना इस शून्य शकट में
सब सूना इस शून्य शकट में
क्या किलकारी,
क्या कोई क्रंदन.
मत डुबो,
इस भ्रम
भंवरी में,
मन, माया की
मन, माया की
मृग तृष्णा
है.
दृश्य-मरीचिका! मिथ्या सब कुछ,
कर्षण ज्यों कृष्ण और कृष्णा हैं.
चलो अनंत
पथिक पथ बन
तुम!
बरबस बाट
बरबस बाट
जोहे बाबुल
डेरे.
रुखसत हो, सुन लो रूह की,
तोड़ो भ्रम जाल, मितवा मेरे!