सदन के पटल पर,
जैसे ही आया प्रस्ताव I
जेल में सजायाफ्ता कैदी,
भी लड़ सकेंगे चुनाव I
लोकतंत्र के मंदिर में बैठे,
कौओं ने किया समवेत कांव-कांव I
न्यायपालिका की पिटी भद्द,
और फिरा उलटा दांव I
नरभक्षी नेताओं ने न,
देखा आव न देखा ताव I
बस पंद्रह मिनटों में ही,
हो गया पारित प्रस्ताव I
भैया, कराहती जनता,
और चुप राजा हैI
दुनिया के सबसे जाली.
जनतंत्र का यह जनाजा हैI
----- विश्वमोहन
No comments:
Post a Comment