लगन की लाग
श्रृंगार
का फाग
प्रेम
का पाग
प्रणय का राग
चुनर
में दाग
चितवन की आग
विरह
का नाग
माया
के इस
भ्रम-
जाल में
रे
मन, क्यों भटके?
अब
तो भाग !
अब तो भाग !
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विश्व मोहन
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