जा पिया , तू जा समर में,
आतंकियों के गह्वर में.
प्रलय का उत्पात मचा दे.
छोड़, मेरे आंसूओं मे
क्या रखा है!
आज वतन की माटी में हैं सिरफिरे फिर उतर आये,
भारत-माता के वसन को, देख कहीं
वो कुतर न जाये.
लगे चीर में चीर इससे पहले उनको चीर दो,
छिन्नमस्तिके, रौद्र-तांडव मचा, बचा कश्मीर लो,
लगे माटी लाल, शत्रु-शोणित का
सुस्वाद चखा है.
छोड़, मेरे आसूंओं में
क्या रखा है!
आज विधना ने अचानक कौन सा है चित्र उकेरा?
जीवन-रण में काल खड्ग से टकरा गया तलवार तेरा.
समर के इस विरल पल मे गुंजे अट्टाहास तेरा,
कालजयी, पराक्रमी-परंतप, अरि-दल बने ग्रास तेरा.
टूटना पर झुक
न जाना, तू याद
कर मेरा सखा है.
छोड़, मेरे आंसूओं में
क्या रखा है!
चूड़ी-बिंदी,नथ-टीका,पायल का श्रृंगार मेरा.
कुमकुम, सुहाग सिंदुर से
सुसज्जित सात फेरा,
और,जीतिया, तीज, करवा-चौथ का
त्योहार मेरा,
मातृभूमि की वेदि पर, आज मांगे दान तेरा.
अरिहंते, विजय-मन्नत का
मैंनें उपवास रखा है,
छोड़, मेरे आंसूओं में
क्या रखा है!
जा पिया , तू जा समर में,
संतति ये रक्तबीज के,
काल-चंडी को नचा दे.
छोड़, मेरे आंसूओं मे
क्या रखा है!
----------- विश्वमोहन
Kusum Kothari: अप्रतिम रचना।
ReplyDeleteVishwa Mohan: +Kusum Kothari अत्यंत आभार !!!
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ReplyDeleteVishwa Mohan
+1
आपके सुन्दर शुभ आशीर्वचनो के लिए ह्रदय से आभार एवं शुक्रिया !!!
Jul 13, 2017
अमित जैन 'मौलिक''s profile photo
अमित जैन 'मौलिक'
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+2
छिन्नमस्तिके, रौद्र-तांडव मचा, बचा कश्मीर लो,
लगे माटी लाल, शत्रु-शोणित का सुस्वाद चखा है.
वाह वाह मोहन जी। क्या ख़ूब। अद्भुत भाषा, अद्भुत शैली, अद्भुत रौरव।।। आनंद आ गया। आपसे अनुरोध है कि कुछ अंश रचना या लेख का अवश्य प्रकाशित करें जिससे हम सब पूरा पोस्ट पढ़ने का मोह संवरण ना कर सकें और वंचित न रह जाएं।
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Jul 13, 2017
Vishwa Mohan's profile photo
Vishwa Mohan
+अमित जैन 'मौलिक' आपकी इच्छा शिरोधार्य है. आपके सुभाषित शब्दों का शुक्रिया !
आदरणीय विश्वमोहन जी -- एक सुसंस्कृत नारी के लिए पति सर्वस्व है तो देश का सम्मान सर्वोपरि | सैनिकों ने सीमा पर मोर्चा सम्भाला है तो उनकी वीर पत्नियों नें घर के समस्त दायित्व अपने सर लेकर सैनिकों को हर चिंता से मुक्त रख अतुलनीय योगदान दिया है | एक वीरांगना का ये ओजपूर्ण उद्घोष बहुत प्रेरक है कि--
ReplyDeleteमातृभूमि की वेदि पर, आज मांगे दान तेरा.
अरिहंते, विजय-मन्नत का मैंनें उपवास रखा है,
छोड़, मेरे आंसूओं में क्या रखा है?
इतिहास गवाह है कि वीरांगनाओं ने अपने हाथों से पति को तलवार सौंपकर युद्ध के लिए प्रस्थान करने के लिए अभिषेक किये हैं और अपने आसूंओं और सपनों की परिधि से बाहर निकाल उन्हें निर्भीकता से शत्रु का समूल नाश करने की प्रेरणा देकर नारी जाति का गौरव बढ़ाया है |इसी भाव को आज की नारी कैसे छोड़ सकती है ? वीर रस से भरी सार्थक रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें और आभार |
जी, अत्यंत आभार आपका!!!
Deleteवाह आदरणीय सर अद्भुत
ReplyDeleteसादर नमन
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (26-07-2019) को "करगिल विजय दिवस" (चर्चा अंक- 3408) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार।
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteजी,आभात।
Deleteओजपूर्ण सृजन ।
ReplyDeleteअत्यंत आभार। होली की सपरिवार शुभकामनाएं🌹🌹🌹
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ReplyDeleteजा पिया , तू जा समर में,
संतति ये रक्तबीज के,
काल-चंडी को नचा दे.
छोड़, मेरे आंसूओं मे क्या रखा है!
राष्ट्र के प्रति समर्पण का उद्घोष करती वीरनारी के मन की ओजपूर्ण भावाभिव्यक्ति।
होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
अत्यंत आभार। होली की सपरिवार शुभकामनाएं🌹🌹🌹
Deleteएक देश भक्ति से पूर्ण हृदय स्पर्शी रचना, सच देश हित के सामने वीरांगनाएं सर्वस्व न्योछावर करने को तत्पर रहती हैं ।
ReplyDeleteअप्रतिम सुंदर संदेशात्मक रचना।
होली पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌷
अत्यंत आभार। होली की सपरिवार शुभकामनाएं🌹🌹🌹
Deleteआज वतन की माटी में हैं सिरफिरे फिर उतर आये,
ReplyDeleteभारत-माता के वसन को, देख कहीं वो कुतर न जाये.
लगे चीर में चीर इससे पहले उनको चीर दो,
छिन्नमस्तिके, रौद्र-तांडव मचा, बचा कश्मीर लो,
लगे माटी लाल, शत्रु-शोणित का सुस्वाद चखा है.
छोड़, मेरे आसूंओं में क्या रखा है!
वाह!!!
अद्भुत शब्दसौष्ठव के साथ वीरांगना नारी के भावों को व्यक्त करती लाजवाब एवं ओजपूर्ण रचना ।
रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं ।
अत्यंत आभार। होली की सपरिवार शुभकामनाएं🌹🌹🌹
Deleteजा पिया , तू जा समर में,
ReplyDeleteसंतति ये रक्तबीज के,
काल-चंडी को नचा दे.
छोड़, मेरे आंसूओं मे क्या रखा है!
बहुत ही सुंदर,वीर रस से भरी सार्थक रचना,होली की हार्दिक शुभकामनायें आपको
अत्यंत आभार। होली की सपरिवार शुभकामनाएं🌹🌹🌹
Deleteजा पिया , तू जा समर में,
ReplyDeleteसंतति ये रक्तबीज के,
काल-चंडी को नचा दे.
छोड़, मेरे आंसूओं मे क्या रखा है!
देशभक्ति से रची बहुत मार्मिक रचना🙏
जी, बहुत आभार आपका।
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