अमावस में रजनीश का वनवास,
नील,नीरव, निरभ्र
अकेला आकाश.
भगजोगनियों संग
भोगता प्रीत का रास
वसुधा पर ठिठुरती
निशा का वास
झिंगुरों का
वक्र परिहास
सर्द हवाओं का
कुटिल अट्टाहास
शनैः शनैः सरकता
शारदीय मास
फिर भी धरती की
धुकधुकाती आस
कभी तो मिलेंगे अपने चांद से
दूर क्षितिज के
पास
पल पल दिल को
दिलाये ये भास
काश, कोई प्रणीते ना भोगे ये त्रास!
--------------- विश्वमोहन
NITU THAKUR's profile photo
ReplyDeleteNITU THAKUR
Owner
+1
chand shabdon me bhav pragat karna koi aap se sikhe bahut hi marmik bat kahi hai....very nice
Oct 16, 2017
अमित जैन 'मौलिक''s profile photo
अमित जैन 'मौलिक'
Moderator
+1
कभी तो मिलेंगे अपने चाँद से। wahh wahh
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Oct 16, 2017
Vishwa Mohan's profile photo
Vishwa Mohan
+1
+Nitu Thakur सादर आभार
Oct 16, 2017
Vishwa Mohan's profile photo
Vishwa Mohan
+अमित जैन 'मौलिक' सादर आभार!!!
Kusum Kothari: अतिसुन्दर काव्य कोमल भावों से सुसज्जित,
ReplyDeleteएक पंक्ति...
क्षितिज चाहे मिले नही पर मन आकाश छुआ करता है।
उत्कृष्ट।
Vishwa Mohan: वाह! सादर आभार !!!
अमित जैन 'मौलिक''s profile photo
ReplyDeleteअमित जैन 'मौलिक'
Owner
+1
वाह बहुत सुंदर। नमन
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Oct 15, 2017
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Vishwa Mohan
+1
+अमित जैन 'मौलिक' सादर आभार !!!
Oct 15, 2017
Roli Abhilasha (अभिलाषा)'s profile photo
Roli Abhilasha (अभिलाषा)
+1
बहुत सुंदर।
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Oct 16, 2017
Vishwa Mohan's profile photo
Vishwa Mohan
सादर आभार !!!
आपकी लिखी रचना सोमवार. 17 जनवरी 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
जी, अत्यंत आभार!!!
Deleteमंजुल माला मैतियों की।
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार!!!! आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
Deleteविरह-मिलन सृष्टि का शाश्वत राग
ReplyDeleteपिंजरे में सोता पक्षी अब तो जाग
मोह-माया के बंध तोड़ के उड़ जा
चुग ले मोती,दाना छोड़ काहे होय काग
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बहुत सुंदर शब्द विन्यास में गूँथा
विरह का कोमल भाव।
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प्रणाम
सादर।
एक तो पिंजर, दूजे सोया
Deleteइस बंधन में सब कुछ खोया।
टूटेगा बंधन, छूटेगी काया
कौआ! कोयल! सबकुछ माया!
अकुला मत मन, धर ले धीर,
उड़ेगा हंस, ये छोड़ प्राचीर।
आपकी मोहक काव्यात्मक टिप्पणी का आभार! यूँ ही आशीष बना रहे।
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteजी, अत्यंत आभार😄🙏🙏
Deleteभगजोगनियों संग भोगता प्रीत का रास
ReplyDeleteकाश, कोई प्रणीते ना भोगे ये त्रास
वाह!!!!
सराहना से परे...लाजवाब सृजन
🙏🙏🙏🙏
जी, अत्यंत आभार😄🙏🙏
Deleteपल पल दिल को दिलाये ये भास
ReplyDeleteकाश, कोई प्रणीते ना भोगे येत्रास
विरह की बहुत बढ़िया प्रस्तुति दी 👌👌 ढेरों शुभकामनाएं और बधाई 🙏🙏
जी, अत्यंत आभार😄🙏🙏
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