Saturday, 25 January 2014

मौसम

मौसम बदले या बदले लोग/
परिवर्तन है प्रकृति का भोग//

जीव- जगत सब क्षणभंगुर हैं/
जीवन का यह सत्य क्रुर है//

दिल सूखा और आंखे नम हैं/
दुख की बदरी का झमझम है/

पहले काल निशा का गम है/
 चांद हंसे तो फिर पुनम है//

आने-जाने का ये क्रम है/
इसी का नाम, प्रिये, मौसम है//

                                    ----- विश्वमोहन

4 comments:

  1. Meena Gulyani's profile photo
    Meena Gulyani
    +1
    Nice poem
    Nov 28, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    आभार!!!!
    Nov 28, 2017
    NITU THAKUR's profile photo
    NITU THAKUR
    Owner
    +1
    Waah kitni khoobsurti Hai aap ki rachna me padh kar Maja aagaya
    Nov 28, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    +1
    आभार!!!

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  2. Indira Gupta's profile photo
    Indira Gupta
    Moderator
    +1
    पतझड़ , सावन , बसँत , बहार
    आते जाते मौसम चार
    परिवर्तन ही जीवन है
    सगरे मिल पढ़ाते पाठ !
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    Nov 28, 2017
    Vishwa Mohan's profile photo
    Vishwa Mohan
    वाह! बहुत सुन्दर!! आभार!!!
    Nov 28, 2017
    Indira Gupta's profile photo
    Indira Gupta
    Moderator
    +1
    +Vishwa Mohan 🙏
    Nov 28, 2017
    K P Mishra's profile photo
    K P Mishra
    +1
    खट्टे मीठे अनुभवों का भंडार है ,
    जिंदगी में कहीं बसंत बहार है l
    कहीं नैया बीच मझधार है ,
    जीवन में परिवर्तन , रचना का सार है l
    बहुत सुंदर रचना Vishwa Mohan ji
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  3. Indira Gupta: एक दम शाश्वतता लिखा है कविवर
    लिखा सत्य उदगार
    परिवर्तन तो प्रकृति नियम है
    जीवन मरण के साथ !
    Vishwa Mohan: +Indira Gupta अत्यंत आभार!!!

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  4. Renu:
    सुख- दुःख का ताना बाना है ,
    कहीं गुलशन कहीं वीराना है ;
    तन , मन और जीवन ,
    पल - पल बदले इनका मौसम ;
    कहीं हंसी कहीं रोदन बिखरे
    नियत जन्म के साथ मरण ;
    नित गतिमान यायावर का
    जाने कहाँ ठौर ठिकाना है ? -
    सादर --------------
    Vishwa Mohan: +Renu बहुत सुन्दर!!! अत्यंत आभार!!!

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