मौसम बदले या बदले लोग/
परिवर्तन है प्रकृति
का भोग//
जीव- जगत सब
क्षणभंगुर हैं/
जीवन का यह सत्य
क्रुर है//
दिल सूखा और आंखे नम
हैं/
दुख की बदरी का झमझम
है/
पहले काल निशा का गम
है/
चांद हंसे तो फिर पुनम है//
आने-जाने का ये क्रम
है/
इसी का नाम, प्रिये, मौसम है//
----- विश्वमोहन
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ReplyDeleteMeena Gulyani
+1
Nice poem
Nov 28, 2017
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Vishwa Mohan
आभार!!!!
Nov 28, 2017
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NITU THAKUR
Owner
+1
Waah kitni khoobsurti Hai aap ki rachna me padh kar Maja aagaya
Nov 28, 2017
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Vishwa Mohan
+1
आभार!!!
Indira Gupta's profile photo
ReplyDeleteIndira Gupta
Moderator
+1
पतझड़ , सावन , बसँत , बहार
आते जाते मौसम चार
परिवर्तन ही जीवन है
सगरे मिल पढ़ाते पाठ !
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Nov 28, 2017
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Vishwa Mohan
वाह! बहुत सुन्दर!! आभार!!!
Nov 28, 2017
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Indira Gupta
Moderator
+1
+Vishwa Mohan 🙏
Nov 28, 2017
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K P Mishra
+1
खट्टे मीठे अनुभवों का भंडार है ,
जिंदगी में कहीं बसंत बहार है l
कहीं नैया बीच मझधार है ,
जीवन में परिवर्तन , रचना का सार है l
बहुत सुंदर रचना Vishwa Mohan ji
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Indira Gupta: एक दम शाश्वतता लिखा है कविवर
ReplyDeleteलिखा सत्य उदगार
परिवर्तन तो प्रकृति नियम है
जीवन मरण के साथ !
Vishwa Mohan: +Indira Gupta अत्यंत आभार!!!
Renu:
ReplyDeleteसुख- दुःख का ताना बाना है ,
कहीं गुलशन कहीं वीराना है ;
तन , मन और जीवन ,
पल - पल बदले इनका मौसम ;
कहीं हंसी कहीं रोदन बिखरे
नियत जन्म के साथ मरण ;
नित गतिमान यायावर का
जाने कहाँ ठौर ठिकाना है ? -
सादर --------------
Vishwa Mohan: +Renu बहुत सुन्दर!!! अत्यंत आभार!!!